महाभारत शान्ति पर्व अध्याय 266 श्लोक 75-78
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षट्षष्टयधिकद्विशततम (266) अध्याय: शान्ति पर्व (मोक्षधर्म पर्व)
दीर्घकाल तक बड़े-बूढों की सेवा करे। दीर्घकाल तक उनका संग करके उनकी पूजा (आदर-सत्कार) करे। चिरकाल तक धर्म का सेवन और दीर्घकाल तक उसका अनुसंधान करें। अधिक समय तक विद्वानों का संग करके चिरकाल तक शिष्ट पुरूषों की सेवा में रहें तथा चिरकाल तक अपने मन को वश में रखें। इससे मनुष्य चिरकाल तक अवज्ञा का नहीं किंतु सम्मान का भागी होता है। धर्मोपदेश करने वाले पुरूष से यदि कोई प्रश्न करे तो उसे देर तक सोच-विचार कर ही उत्तर देना चाहिये। ऐसा करने से उसको देर तक पश्चात्ताप नहीं करना पड़ता है। वे महातपस्वी ब्रह्मर्षि गौतम उस आश्रम में बहुत वर्षों तक रहकर अन्त में पुत्र चिरकारी के साथ ही स्वर्गलोक को सिधारे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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