मालवा के सुलतान खिलजी

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लेख सूचना
मालवा के सुलतान खिलजी
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 319
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक परमेश्वरीलाल गुप्त

मालवा के सुलतान खिलजी मालवा के तुर्क सुलतान होशंगशाह की मृत्यु के पश्चात्‌ 1435 ई. में गजनी खाँ शासक बना। विलासी होने के कारण उसने सारा राज काज अपने मंत्री महमूद खाँ खिलजी पर छोड़ दिया जो उसका फुफेरा भाई था। महमूद खिलजी ने राजलिप्सा से प्रेरित होकर अपने स्वामी का वध कर दिया और 1436 ई. में स्वयं शासक बन बैठा।

महमूद खिलजी के शासनकाल में मालवा अत्यंत समृद्ध और शक्तिशाली राज्य बना। उसने अपने राज्य का दक्षिण में सतपुड़ा पर्वतश्रेणी तक, पश्चिम में गुजरात की सीमा तक, पूर्व में बुंदेलखंड तथा उत्तर में मेवाड़ तक विस्तार किया। महमूद के पश्चात्‌ उसका पुत्र गयासुद्दीन 1469 ई. में सिंहासनारूढ़ हुआ। उसको उसके पुत्र नसिरूद्दीन ने विष देकर मार डाला और स्वयं 1500 ई. में गद्दी पर आरूढ़ हुआ। किंतु वह अत्यंत विलासी निकला। एक दिन वह मदिरोन्मत्त होकर मांडू के कालियादह झील में गिर पड़ा और डूबकर मर गया।

उसके पश्चात्‌ महमूद (द्वितीय) सिंहासनारूढ़ हुआ। 1531 ई. में गुजरात के सुलतान बहादुरशाह ने परास्त कर इस वंश का अंत कर दिया।


टीका टिप्पणी और संदर्भ