लार्ड एडवर्डला एलेनबरा
लार्ड एडवर्डला एलेनबरा
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 254 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | कैंलासचंद्र शर्मा |
एलेनबरा, लार्ड एडवर्डला (1790-1871) अंग्रेज राजनीतिज्ञ और एलेनबरा के प्रथम अर्ल। ये बैरन एलेनबरा के ज्येष्ठ पुत्र थे जो 1802 ई. में ब्रिटेन के लार्ड चीफ़ जस्टिस नियुक्त किए गए थे। लार्ड एलेनबरा 1813 ई. में टोरी दल के टिकट पर ब्रिटिश संसद के सदस्य निर्वाचित हुए और अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान इंग्लैंड के विभिन्न प्रशासनिक विभागों के अधिकारी रहे। 1841 ई. में उन्हें भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया और 1842 ई. में भारत आकर उन्होंने उक्त पद सँभाला। भारत में उनके पूर्ववर्ती अंग्रेज गवर्नर जनरल लार्ड आकलैंड ने अफगानिस्तान के निर्वासित अमीर शाहशुजा का पक्ष लेकर तत्कालीन अफगान अमीर दोस्त मुहम्मद से युद्ध छेड़ दिया था। उक्त युद्ध में भयंकर अपमान के साथ-साथ अंग्रेजी सेनाओं को अत्यधिक हानि भी उठानी पड़ी थी। लार्ड एलेनबरा ने अफगानिस्तान से ब्रिटिश सेनाएँ वापस बुला लीं और अफगानों से मैत्रीपूर्ण व्यवहार की नीति शुरू की। 1843 ई. में ब्रिटिश संसद ने लार्ड एलेनबरा की अफगान नीति की संपुष्टि कर दी लेकिन 1844 ई. में उन्हें इसलिए इंग्लैंड वापस बुला लिया गया कि सिविल अफसरों के प्रति उनका व्यवहार अच्छा न था और भारतीयों को उन्होंने मूर्तिपूजा की प्रत्यक्ष अनुमति देकर तुष्टीकरण की नीति अपना ली थी। 1858 ई. में उन्होंने भारतमंत्री का पद सँभाला परंतु विसकाउंट कैनिंग के खिलाफ प्रकाशित अपने लेख के कारण उन्हें इस्तीफा दे देना पड़ा। 1871 ई. में उनका देहांत हो गया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ