लूकस क्रानाश

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लेख सूचना
लूकस क्रानाश
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 200
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक रामचंद्र शुक्ल

लूकस क्रानाश (1472-1553 ई.) जर्मनी का लोकप्रिय चित्रकार। यह फ्रैंकोनिया के क्रोनाश नामक स्थान का निवासी था। बचपन में उसे किसी प्रकार की कलाशिक्षा उपलब्ध नहीं हो सकी, फिर भी कला के प्रति असीम निष्ठा और लगन होने के कारण उसने उसे सीखने का भरसक प्रयत्न किया। इसमें उसे उस समय के कलाकार पोलाईओलो (Pollaiuolo) से कुछ सहायता मिली थी। बाकी उसने उस समय के फ्लोरंसीय कलाकारों के संपर्क में सीखा और कुछ इटालियन लोककलाकारों से। सन्‌ 1504 तक वह एक प्रसिद्ध कलाकार बन गया और सैक्सनी ने इलेक्टर फ्रेडरिक दि वाइज ने उसे विटेनबर्ग में अपने दरबार का कलाकार नियुक्त किया। विटेनबर्ग के दरबार में वह करीब 50 वर्षों रहा और उसे वहाँ काफी संमान प्राप्त हुआ।

क्रानाश की प्रारंभिक कृतियों में कल्पना तथा नवीनता का बाहुल्य था पर धीरे-धीरे दरबारी कलाकार होने के नाते वह लोकरुचि को ही प्रमुखता देने लगा जिसका कारण था कि उसके चित्र बड़े लोकप्रिय हुए। वह वैसे ही चित्र बनाता था जिनकी माँग होती। उसके चित्र सुंदर आकृतियोंवाले, बारीकी से सजे हुए, मनमोहक होते थे। दृश्यों को भी वह अपने चित्रों में बड़े सुंदर ढंग से उपस्थित करता था। एक एक फूल, पत्ती, सुंदर जंगली जानवर तथा पक्षी को वह चुन-चुनकर बड़ी बारीकी तथा यथार्थता के साथ चित्रित करता था।

क्रानाश की कला का प्रादुर्भाव उस समय हुआ जब जर्मनी में रेनेसाँ काल का अंत हो रहा था। महान्‌ सुधारक मार्टिन लूथर क्रानाश के अत्यधिक प्रशंसक थे। क्रानाश भी मार्टिन लूथर के विचारों से बड़ा प्रभावित था। उसने लूथर की विचारधाराओं के आधार पर अपने बहुत से चित्र बनाए।

धार्मिक चित्ताकर्षक चित्रों में उसका चित्र वीनस और आमोर अपने समय का प्रसिद्ध चित्र है। उसके अन्य प्रसिद्ध चित्र हैं संत जेरोम तथा मिस्री पलायन में विश्राम। उसके व्यक्तिचित्रों (पोट्रेंट्स) में डाक्टर कुसपीनियन, सैक्सनी का इलेक्टर तथा मार्टिन लूथर उल्लेखनीय हैं। उसने मार्टिन लूथर की पुस्तकों के लिए भी चित्र बनाए थे। क्रानाश का एक अधूरा चित्र सैक्सनी की एलिजाबेथ कैंसर, जो वर्लिन के संग्रहालय में है, आज भी अतिप्रशंसित है। इसमें कौमार्य का अद्भुत चित्रण कलाकार की तूलिका से उभर पड़ा है।



टीका टिप्पणी और संदर्भ