लैसेलीज़ एबरक्रांबी
लैसेलीज़ एबरक्रांबी
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 243 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | कैलासचंद्र शर्मा |
एबरक्रांबी, लैसेलीज़ (1881-1938 ई.) अंग्रेजी के प्रख्यात कवि, नाटककार तथा समालोचक। एश्टन-ऑन-मर्सी में इंग्लैंड के एक प्रसिद्ध व्यापारी के घर 9 जनवरी, 1881 को जन्म। प्रारंभिक शिक्षा मैलबर्न में तथा उच्च शिक्षा मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में प्राप्त की। शिक्षा समाप्त करने के उपरांत एबरक्रांबी ने स्वतंत्र पत्रकार का पेशा अपनाया और अनेक पत्र पत्रिकाओं के लिए लेख तथा पुस्तक परिचय (रिव्यू) लिखने लगे। लेकिन पत्रकारिता में उनका मन बहुत दिनों तक न रम सका और 1919 ई. में वे लिवरपूल के एक स्कूल में अंग्रेजी के अध्यापक हो गए, हालाँकि इनकी शिक्षा विज्ञान में हुई थी। 1922 ई. में लीड्स विश्वविद्यालय में तथा 1929 ई. में लंदन विश्वविद्यालय में अंग्रेजी प्राध्यापक पद पर उनकी नियुक्ति हुई। 1935 ई में वे आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में रीडर हुए। उनकी निम्नलिखित कृतियाँ प्रकाशित हैं :-
कविता–1. इंटरल्यूड्स ऐंड पोएम्स (1908), 2. एंब्लेम्स ऑव लव (1911) तथा 3. द पोएम्स ऑव लैसेलीज़ एबरक्रांबी (1930)।
इनकी कविताओं में सांग, हाइम टु लव, सेरेमोनियल, ओड, मैरेज सांग, द डेथ ऑव ए फ्रायर आदि विशेष प्रसिद्ध हैं।
नाटक–1. डेबोरा (1912), 2. फ़िनिक्स (1913) तथा 3. द सेल ऑव सेंट टामस (काव्य नाटिका जो 1903 में रची गई किंतु प्रकाशित बाद में हुई)। देहाती जीवन से संबंधित इनके डेबोरा आदि नाटक अधिक सफल हैं।
समालोचना–1. टामस हार्डी (1912), 2. दि एपिका (1914), 3. ऐन एसे टुवडेस ए थियरी ऑव आर्ट (1922), 4. द थियरी ऑव पोएट्री (1924), 5. दि आइडिया ऑव ग्रेट पोएट्री (1925) तथा 6. रोमौंटिसिज्म (1926)।
एबरक्रांबी की अधिकांश रचनाएँ बौद्धिकता से आक्रांत हैं, अत: सामान्य पाठक के लिए ये बोझिल, नीरस तथा क्लिष्ट हैं। 27 अक्टूबर, 1938 को 57 वर्ष की अवस्था में इनका देहावसान हो गया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ