विक्तर एमानुएल द्वितीय
विक्तर एमानुएल द्वितीय
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 244 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | सत्यदेव विद्यालंकार |
एमानुएल द्वितीय, विक्तर (1820-1878) वर्तमान इटली के निर्माता और उसकी स्वतंत्रता के संरक्षक विक्तर एमानुएल द्वितीय का नाम जर्मनी के प्रिंस बिस्मार्क और भारत के सरदार पटेल की तरह अमर हो गया है। उसने अनेक राज्यों मे विभक्त देश को 'संयुक्त इटली' का रूप दिया, सीमावर्ती प्रबल राष्ट्रों से उसे निर्भय बनाया और उसके लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त की। 14 मार्च, 1820 को उसका जन्म हुआ। चार्ल्स अलबर्त के पुत्र के नाते पिता के गद्दी त्याग करने पर वह सार्दीनिया का राजा बना और अपनी वीरता, राजनीतिमत्ता तथा दूरदर्शिता से सार्दीनिया के राज्य को संयुक्त इटली के महान् राज्य में परिवर्तित कर दिया।
सुप्रसिद्ध देशभक्त मात्सीनी और गारीबाल्दी तथा अन्य क्रांतिकारियों और प्रजातंत्रवादियों का सहयोग प्राप्त कर एमानुएल ने सबको एक किया। 10 नवंबर, 1849 को ज्यूरिक की संधि में लोबार्दी प्रदेश आस्ट्रिया से और सितंबर, 1870 में प्रशा-फ्रांस की लड़ाई में रोमन प्रदेश फ्रांस से प्राप्त किए। सिसली, नेपुल्स, वेनिस, तस्कनी, जिचीज और रोमान्या के अलग-अलग राज्यों को इटली में मिलाने में उसने अपूर्व सफलता प्राप्त की। रोमन प्रदेश को इटली में मिलाने का घोर विरोध वातिकन के पोप ने किया, जिस कारण दोनों के संबंध वर्षो तक बिगड़े रहे। आंतरिक सुधारों में एक बड़ा कदम चर्च की अदालतों के अधिकारों को सीमित करना था। उसके कारण भी उसको पोप का कोपभाजन बनना पड़ा। स्वयं कैथोलिक होते हुए भी उसने उसकी परवाह नहीं की। अपनी जनता और संसद् का विश्वास उसे सदा प्राप्त रहा। आस्ट्रिया के आर्चड्यूक की लड़की से विवाह कर उसने फ्रांस के सम्राट् तृतीय नैपोलियन के साथ भी पारिवारिक संबंध कायम किए। दोनों की पुरानी शत्रुता से उसने पूरा लाभ उठाया; परंतु तृतीय नैपोलियन उसकी बढ़ती हुई शक्ति के प्रति सदा सशंक रहा। क्रीमिया के युद्ध में उसने रूस के विरुद्ध फ्रांस और इंग्लैंड का साथ देकर अपनी और इटली दोनों की प्रतिष्ठा में चार चाँद लगा दिए। पेरिस में तृतीय नैपोलियन और लंदन में महारानी विक्टोरिया ने तथा दोनों देशों की जनता ने भी उसका हार्दिक स्वागत किया। प्रशा और फ्रांस के युद्ध से भी उसने पूरा लाभ उठाया। फ्रांस ने पहली पराजय के बाद जब 100000 इटालियन सैनिकों की सहायता की माँग की तब उसने रोमन प्रदेश को फ्रांसीसी सेनाओं से खाली करवा कर 7 जुलाई, 1871 को रोम को संयुक्त इटली में मिलाकर उसको राजधानी बनाया और उसका पुनर्निर्माण किया।
विक्तर एमानुएल द्वितीय सुदृढ़ प्रकृति, सहृदय स्वभाव, स्वाभिमानी, राजनीतिज्ञ और दूरदर्शी शासक था। सेनापति के रूप में जीवन का आरंभ कर वह सैनिक शक्ति की अपेक्षा अपनी बुद्धिमत्ता से संयुक्त इटली का सम्राट् बना। अपनी स्थिति को सांवैधानिक बनाकर उसने संसद् के सहयोग से शासनसूत्र का संचालन किया। शासन में कोई विशेष सुधार वह नहीं कर सका; देश की आर्थिक स्थिति को उसने काफी उन्नत बनाया और सेना का पुनर्गठन कर उसको शक्तिशाली बनाया।9 फरवरी,1878 को रोम में ज्वर से उसकी मृत्यु हो गई।
टीका टिप्पणी और संदर्भ