विलियम टामसन केल्विन
विलियम टामसन केल्विन
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 122 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भगवतीप्रसाद श्रीवास्तव |
विलियम टामसन केल्विन (1824-1907)। ब्रिटिश भौतिकविद्। इनका जन्म 26 जून, सन् 1824 का बेलफास्ट में हुआ था। विज्ञान की उच्च शिक्षा इन्होंने केंब्रिज में पाई तथा पेरिस में फ्रेंच वैज्ञानिक रेनो की प्रयोगशाला में प्रयोगात्मक विज्ञान का प्रशिक्षण प्राप्त किया। तदुपरांत सन् 1843 में ग्लासगो विश्वविद्यालय में प्राकृतिक दर्शन (नैचुरल फिलासफी) के प्रोफेसर का पद स्वीकार किया। इसी पद पर रहकर इन्होंने 53 वर्ष तक विज्ञान की सेवा की। इनकी मृत्यु दिसंबर 17, सन् 1907 ई. को हुई।
इनके प्रारंभिक अनुसंधानों में पृथ्वी के आयुनिर्धारण का प्रयास विशेष उल्लेखनीय है। पृथ्वी की उष्माचालकता के आधार पर इन्होंने पृथ्वी की आयु 2 करोड़ और 40 करोड़ वर्ष के बीच, संभवत: 10 करोड़ वर्ष, आँका। जेम्स प्रेस्काट जूल के संपर्क में आने के बाद इन्होंने उष्मा की प्रकृति के बारे में विशेष दिलचस्पी ली। तदुपरांत इन्होंने केत्विन ताप (निरपेक्ष ताप) के पैमाने का आविष्कार किया, जो तापमापी में रखे पदार्थ के गुणों से बिल्कुल प्रभावित नहीं होता। उष्मा के गतिसिद्धांत (Dynamic theory) का विवेचन करके काउंट रंफर्ड, जूल तथा मेयर की सहायता से इन्होंने उष्मागतिकी (Thermodynamics) के द्वितीय नियम का सर्वप्रथम प्रतिपादन किया। उन्होंने विद्युत् संबंधी अनेक अनुसंधान भी किए एवं समुद्र में डूबे तारों द्वारा समाचार भेजने में उपस्थित अनेक दोषों को दूर किया। सन् 1853 में उन्होंने लाइडनजार के दोलनमय स्फुलिंग विसर्जन (oscillatory discharge) का विशेष अध्ययन किया जो बाद में रेडियो टेलीग्राफी का आधार बना। समुद्र की गहराई नापने के लिये एक यंत्र तैयार किया तथा समुद्री यात्रा को निरापद बनाने के लिये अनेक उपयोगी आविष्कार किए। विज्ञान के विभिन्न विषयों पर इनके लगभग 300 अनुसंधान निबंध हैं।
समुद्र पार के टेलीग्राफी संबंधी आविष्कारों के कारण सन् 1866 में वे नाइट की उपाधि से सम्मानित किए गए और सन् 1892 में से लॉर्ड बनाए गए और सन् 1890 में रॉयल सोसायटी के सभापति निर्वाचित हुए थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ