श्रीमद्भागवत महापुराण द्वादश स्कन्ध अध्याय 1 श्लोक 40-43

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द्वादश स्कन्ध: प्रथमोऽध्यायः (1)

श्रीमद्भागवत महापुराण: द्वादश स्कन्ध: प्रथमोऽध्यायः श्लोक 40-43 का हिन्दी अनुवाद


परीक्षित्! ये सब-के-सब राजा आचार-विचार में म्लेच्छप्राय होंगे। ये सब एक ही समय भिन्न-भिन्न प्रान्तों में राज्य करेंगे। ये सब-के-सब परले सिरे के झूठे, अधार्मिक और स्वल्प दान करने वाले होंगे। छोटी-छोटी बातों को लेकर ही ये क्रोध के मारे आग बबूला हो जाया करेंगे । ये दुष्ट लग स्त्री, बच्चों, गौओं, ब्राम्हणों को मारने में भी नहीं हिचकेंगे। दूसरे की स्त्री और धन हथिया लेने के लिये ये सर्वदा उत्सुक रहेंगे। न तो इन्हें बढ़ते देर लगेगी और न तो घटते। क्षण में रुष्ट तो क्षण में तुष्ट। इनकी शक्ति और आयु थोड़ी होगी । इनमें परम्परागत संस्कार नहीं होंगे। ये अपने कर्तव्य-कर्म का पालन नहीं करेंग। रजोगुण और तमोगुण से अंधे बने रहेंगे। राजा के वेष में वे म्लेच्छ ही होंगे। वे लूट-खसोटकर अपनी प्रजा का खून चूसेंगे । जब ऐसे लोगों का शासन होगा, तो देश की प्रजा में भी वैसे ही स्वभाव, आचरण और भाषण की वृद्धि हो जायगी। राजा लोग तो उनका शोषण करेंगे ही, वे आपस में भी एक-दूसरे को उत्पीड़ित करेंगे और अन्ततः सब-के-सब नष्ट हो जायँगे ।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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