सैमुएल एच. केलॉग
सैमुएल एच. केलॉग
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 122 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | लक्ष्मीसागर वाष्णीय |
सैमुएल एच. केलॉग (1839-1899 ई.) हिंदी के प्रसिद्ध व्याकरण ग्रैमर ऑव द हिंदी लैंग्वेज (1875) के रचयिता। उनका जन्म 6 सितंबर, 1839 को वेरूटहैंपटन (न्यूयार्क) में हुआ था। 1864 में प्रिंस्टन सेमिनरी से ग्रैजुएट होकर धर्मप्रचारक के रूप में वे भारतवर्ष आए। 1872 में वे इलाहाबाद के थियोलॉजिकल ट्रेनिंग स्कूल में अध्यापक नियुक्त हुए। 1876 में वे स्वदेश लौट गए। 1877 में प्रिंस्टन में वे ही डी. डी. की उपाधि से विभूषित हुए। धर्मप्रचार कार्य में विशेष रुचि होने के कारण 1877 में पिट्सबर्ग में प्रेसबाइटीरियन चर्च के, और 1886-92 में टोरंटों में उन्होंने पैस्टर का पद ग्रहण किया। इसी बीच 1879 में उन्होंने थियोलॉजिकल सेमिनरी की अध्यक्षता में धर्म पर तुलनात्मक दृष्टि से भाषण दिया। 1892 में ये पुन: भारत आए। इस बार वे नॉर्थ इंडिया ऐंड ब्रिटिश ऐंड फ़ॉरेन बाइबिल सोसायटीज़ की ओर से धर्मपुस्तक (बाइबिल) के प्राचीन नियम (ओल्ड स्टेटामेंट) का हिंदी अनुवाद तैयार करने के लिये संघटित समिति के सदस्य के रूप में आए और इस हैसियत से उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किय। ग्रामर ऑव द हिंदी लैंग्वेज के अतिरिक्त द लाइट ऑव एशिया और द लाईट ऑव द वर्ल्ड (1885) इनके दो अन्य ग्रंथ हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ