कृपानिवास
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- कृपानिवास रसिक रामोपासना के एक प्रमुख आचार्य।
- इनका जन्म १७५० ई. के आसपास दक्षिण भारत में हुआ था।
- इनके पिता का नाम सीतानिवास तथा माता का गुणशीला था।
- वे श्री रंग के उपासक थे।
- उन्होंने इन्हें बचपन ही में रामानुजीय वैष्णव संत आनंद विलास से दीक्षा दिलाई।
- पंद्रह वर्ष की अवस्था में इन्हें संसार से विरक्ति हुई और वे घर त्याग कर मिथिला चले आए और रसिक भावना का आश्रय लिया।
- चारों धाम की पैदल यात्रा करते हुए अग्रदास के आचार्य पीठ रेवासा (जयपुर) गए।
- वहाँ से अयोध्या आए और कुछ दिनों वहाँ रहे।
- वहाँ से वे उज्जैन गए और वह कुछ काल तक रहे।
- तदनंतर वे चित्रकूट आए ओर शेष जीवन वहीं व्यतीत किया।
- चित्रकूट में ही स्फटिक शिला के पास उनका देहावसान हुआ।
- युगलप्रिया के अनुसार उन्होंने लगभग एक लाख छंदों की रचना की थी किंतु इनके जो ग्रंथ उपलब्ध हैं उनमें पच्चीस हजार से अधिक छंद नहीं हैं।
- उनके लिखे समस्त ग्रंथ सांप्रदायिक सिद्धांत निरूपण की दृष्टि से लिखे गए है।
- कुछ रचनाएँ भावनात्मक भी हैं जो विभिन्न राग-रागिनियों में गेय हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ