गंग कवि

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गंग कवि अकबर के दरबार के हिंदी कवि थे। इनका जन्म और निधन-तिथि तथा जन्मस्थान विवादास्पद है। वैसे ये इकनौर (जिला इटावा के ब्रह्मभट्ट कहे जाते हैं।

  • शिवसिंह सेंगर के आधार पर मिश्रबंधु इनका जन्म सं. 1595, तासी इनका रचनाकाल सं.1612 और आचार्य रामचंद्र शुक्ल 17वीं शताब्दी विक्रमी का अंत मानते हैं। इनका निधन सं.1652 और 1665 के बीच हो सकता है।
  • अकबर तथा उनके दरबार के अन्य लोग, यथा-रहीम, बीरबल, मानसिंह, टोडरमल इनका बहुत आदर करते थे। प्रवाद है कि रहीम ने इनके एक छप्पय पर प्रसन्न होकर ३६ लाख रुपए भेंट किए थे।
  • अकबर के दरबार में रहकर वे समस्याओं की पूर्ति किया करते थे। इनकी गंग छापधारी स्फुट रचनाएँ उपलब्ध हैं जिनमें प्रशस्तियाँ और हास्य व्यंग्य की चुभती उक्तियाँ हैं।
  • गंग पदावली, गंगपचीसी और गंग रत्नावली नाम से इनकी रचनाएँ संगृहीत पायी जाती हैं।
  • श्रृंगार, वीर आदि रसों की इनकी उक्तियाँ वाग्वैदग्ध्यपूर्ण एवं प्रभावकारी हैं। इनकी आलोचनात्मक एवं व्यंग्यपरक उक्तियाँ मार्मिक, निर्भीक और स्पष्ट हैं।
  • चंद छंद बरनन की महिमा नामक खड़ी बोली का एक ग्रंथ भी इनका लिखा बताया जाता है पर इसमें अनेक विद्वानों को संदेह है।
  • कहा जाता है कि जहाँगीर इनकी किसी रचना से अत्यंत रुष्ट हुए और उन्हें हाथी से कुचलवा कर मार डालने का दंड दिया। किंतु इस प्रकार उनकी मृत्यु हुई, इसका कोई पुष्ट प्रमाण नहीं है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 | पृष्ठ संख्या=338