महाभारत आदि पर्व अध्याय 67 श्लोक 1-40

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सप्तषष्टितम (67) अध्‍याय: आदि पर्व (सम्भाव पर्व)

महाभारत: आदि पर्व: सप्तषष्टितम अध्‍याय: श्लोक 1-40 का हिन्दी अनुवाद

देवता और दैत्य आदि के अंशावतारों का दिग्दर्शन

जनमेजय ने कहा- भगवन् ! मैं मनुष्य - योनि में अंशतः उत्पन्न हुए देवता, दानव, गन्धर्व, नाग, राक्षस, सिंह, व्याघ्र, हरिण, सर्प, पक्षी, एवं सम्पूर्ण भूतों के जन्म का वृत्तान्त यथार्थ रूप से सुनना चाहता हूं। मनुष्यों में जो महात्मा पुरूष हैं, उनके तथा इन सभी प्राणियों के जन्म-कर्म का क्रमश: वर्णन सुनना चाहता हूं। वैशम्पायनजी बोले - नरेन्द्र ! मनुष्यों में जो देवता और दानव प्रकट हुए थे, उन सबके जन्म का ही पहले दानवों का राजा था, वही मनुष्यों में श्रेष्ठ जरासन्ध नाम से विख्यात हुआ। राजन्! हिरण्यकशिपु नाम से प्रसिद्व जो दिति का पुत्र था, वही मनुष्यों में नरश्रेष्ठ शिशुपाल के रूप में उत्पन्न हुआ। प्रहलाद का छोटा भाई जो संन्हाद के नाम से विख्यात था, वही बाह्हीक देश का सुप्रसिद्व राजा शल्य हुआ। प्रहलाद का ही दूसरा छोटा भाई जिसका नमा अनुहाद था, धृतकेतु नामक राजा हुआ। राजन् ! जो शिवि नाम का दैत्य कहा गया है, वही इस पृथ्वी पर द्रुम नाम से विख्यात राजा हुआ। असुरों में श्रेष्ठ जो वाष्कल था, वही नरेश्रेष्ठ भगदत्त के नाम से उत्पन्न हुआ। अयःशिरा, अश्‍वशिरा, वीर्यवान्, अयःषकु, गननमूर्धा ओर वेगवान्. राजन ! ये पांच पराक्रमी महादैत्य कैकय देश के प्रधान-प्रधान महात्मा राजाओं के रूप में उत्पन्न हुए। उनसे भिन्न केतुमान् नाम से प्रसिद्व प्रतापी महान् असुर ममितौजा नाम से विख्यात राजा हुआ, जो भयानक कर्म करने वाला था। स्वर्भानु नाम वाला जो श्रीसम्पन्न् महान् असुर था, वही भयंकर कर्म करने वाला राजा उग्रसेन कहलाया। अश्‍व नाम से विख्यात जो श्रीसम्पन्न महान् असुर था, वही किसी से परास्त न होने वाला महापराक्रमी राजा अशोक हुआ। राजन् ! उसका छोटा भाई जो अश्‍वपति नामक दैत्य था, वहां मनुष्यों में श्रेष्ठ हार्दिक्य नाम वाला राजा हुआ। वृषपर्वा नाम से प्रसिद्व जो श्रीमान् महादैत्य था, वह पृथ्वी पर दीर्घप्रज्ञ नामक राजा हुआ। राजन् ! वृषपर्वा का छोटा भाई जो अजक था, वही इस भूमण्डल में शाल्व नाम से प्रसिद्व राजा हुआ। अश्‍वग्रीव नाम वाला जो धैर्यवान् महादैत्य था, वह पृथ्वी पर रोचमान नाम से विख्यात राजा हुआ। राजन् ! बुद्विमान् ओर यशस्वी सूक्ष्म नाम से प्रसिद्व जो दैत्य कहा गया है, वह इस पृथ्वी पर बृहद्रथ नाम से विख्यात राजा हुआ। असुरों में श्रेष्ठ जो तुहुण्ड नामक दैत्य था, वही यहां सेनाबिन्दु नाम से विख्यात राजा हुआ । असुरों के समाज में जो सबसे अधिक बलवान् था, वह इषुपाद नामक दत्य इस पृथ्वी पर विख्यात पराक्रमी नग्नजित् नामक राजा हुआ। एकचक्र नाम से प्रसिद्व जो महान् असुर था, वही इस पृथ्वी पर प्रतिविन्ध्य नाम से विख्यात राजा हुआ। विचित्र युद्व करने वाला महादैत्य विरूपाक्ष इस पृथ्वी पर चित्रधर्मा नाम से प्रसिद्व राजा हुआ। शत्रुओं का संहार करने वाला जो वीर दानश्रेष्ठ हर था, वही सुबाहु नामक श्रीसम्पन्न राजा हुआ। शत्रुपक्ष का विनाश करने वाला महातेजस्वी अहर इस भूमण्डल में बालृहिक नाम से विख्यात राजा हुआ। चन्द्रमा के समान सुन्दर मुखवाला जो असुरश्रेष्ठ निचन्द्र था, वही मुंजकेष नाम से विख्यात श्रीसम्पन्न राजा हुआ। परम बुद्विमान् निकुम्भ जो युद्व में अजेय था, वह इस भूमि पर भूपालों में श्रेष्ठ देवाधिप कहलाया। दैत्यों में जो शरभ नाम से प्रसिद्व महान् असुर था, वही मनुष्यों में श्रेष्ठ राजर्षि पौरव हुआ। राजन् ! महापराक्रमी महान् असुर कुपट ही इस पृथ्वी पर राजा सुपार्श्‍व के रूप में उत्पन्न हुआ। महाराज ! महादैत्य क्रथ इस पृथ्वी पर राजर्षि पार्वतेय के नाम से उत्पन्न हुआ, उसका शरीर मेरू पर्वत के समान विशाल था। असुरों में शलभ नाम से प्रसिद्व जो दूसरा दैत्य था, वह वानृहीकवंशी राजा प्रहलाद हुआ। दैत्यश्रेष्ठ चन्द्र इस लोक में चन्द्रमा के समान सुन्दर और चन्द्रवर्मा नाम से विख्यात कांम्बोज देश का राजा हुआ। अर्क नाम से विख्यात कांम्बोज देश का राजा हुआ। अर्क नाम से विख्यात जो दानवों का सरदार था, वही नरपतियों में श्रेष्ठ राजर्षि ऋषिक हुआ। नृपशिरोमणे ! मृतपा नाम से प्रसिद्व जो श्रेष्ठ असुर था, उसे पष्चिम अनूप देश का राजा समझो। गविष्ठ नाम से प्रसिद्व जो महातेजस्वी असुर थाख् वही इस पृथ्वी पर द्रुमसेन नामक राजा हुआ। मयूर नाम से प्रसिद्व जो श्रीमान् एवं महान् असुर था वही विश्‍व नाम से विख्यात राजा हुआ। मयूर का छोटा भाई सुपर्ण ही भूमण्डल में कालकीर्ति नाम से प्रसिद्व राजा हुआ। दैत्यों में जो चन्द्रहन्ता नाम से प्रसिद्व श्रेष्ठ असुर कहा गया है, वही मनुष्यों का स्वामी राजर्षि शुनक हुआ। इसी प्रकार जो चन्द्र विनाशन नामक महान् असुर बताया गया है, वही जानकि नाम से प्रसिद्व राजा हुआ। कुरूश्रेष्ठ जनमेजय ! दीघ्रजिन्ह नाम से प्रसिद्व दानवराज ही इस पृथ्वी पर काशिराज के नाम से विख्यात था। सिंहिका ने सूर्य और चन्द्रमा का मान मर्दन करने वाले जिस राहु नामक ग्रह को जन्म दिया था, वही यहां क्राथ नाम से प्रसिद्व राजा हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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