महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 50 श्लोक 17-33
पञ्चाशत्तम (50) अध्याय: उद्योग पर्व (यानसंधि पर्व)
महाराज! जो धर्मात्मा न रोष से, न भय से, न लोभ से, न अर्थ के लिये और न बहाना बनाकर ही कभी सत्य का परित्याग कर सकते हैं, जो धर्मात्माओं में श्रेष्ठ हैं और धर्म के विषय में प्रमाण माने जाते हैं, उन अजातशत्रु के प्रभाव से पाण्डवों ने युद्ध की तैयारी की है । बाहुबल में जिनकी समानता करने वाला इस भूमण्डल में दूसरा कोई नहीं है, जिन्होंने केवल धनुष करके युद्ध में काशी, अङ्ग, मगध और कलिङ्ग आदि देशों के समस्त भू-पालों को जीतकर अपने वश में कर लिया था, उन भीमसेन के बल से पाण्डवों ने आपलोगों पर आक्रमण करने का उद्योग आरम्भ किया है । जिनके बल और पराक्रम से चारों पाण्डव सहसा लाक्षा-भवन से निकलकर इस पृथ्वी पर जीवित बच गये, जिन्होंने मनुष्य भक्षी राक्षस हिडिम्ब से अपने भाइयों की रक्षा की, उस संकट के समय जो कुंतीकुमार भीम इन पाण्डवों के लिये द्वीप के समान आश्रयदाता हो गये, जब सिंधुराज जयद्रथ ने द्रौपदी का अपहरण किया था, उस समय भी जिन कुंतीकुमार वृकोदर ने उन सबको द्वीप की भांति आश्रय दिया था तथा जिन्होंने वारणावत नगर में एकत्र हुए समस्त पाण्डवों को लाक्षागृह की आग में जलने से बचा लिया था, उन्हीं भीमसेन के बल से पाण्डवों ने आपलोगों के साथ युद्ध की तैयारी की है । जिन्होने द्रौपदी पर अपना प्रेम जताते हुए अत्यंत दुर्गम एवं भयंकर गन्धमादन पर्वत की भूमि में प्रवेश करके क्रोधवश नामवाले राक्षसों को मार डाला, जिनकी दोनों भुजाओं में दस हजार हाथियों के समान बल है, उन्हीं भीमसेन के बल से पाण्डवों ने आप लोगों पर आक्रमण का उद्योग किया है । जिन वीरशिरोमणि ने पहले केवल भगवान् श्रीकृष्ण के साथ जाकर अग्निदेव की तृप्ति के लिये पराक्रम करके अपने साथ युद्ध करने वाले देवराज इन्द्र को भी पराजित कर दिया, जिन्होंने युद्ध के द्वारा पर्वतपर शयन करने वाले तथा हाथों में त्रिशूल लिये रहने वाले साक्षात् देवाधिदेव महादेव उमापति-को भी संतुष्ट किया था तथा जिन धनुर्धर वीर ने समस्त लोकपालों को भी हराकर अपने वश में कर लिया, उन्हीं अर्जुन-के बलपर पाण्डवलोग युद्ध में आप लोगों से भिड़ने को तैयार हैं । कुरूनन्दन! जिन्होंने सहस्त्रों म्लेच्छों से भरी हुई पश्र्चिम दिशा को जीतकर अपने अधीन कर लिया था, वे विचित्र रीति से युद्ध करने में कुशल योद्धा नकुल उधर से युद्ध के लिये तैयार खडे़ हैं। माद्रीकुमार नकुल महान् धनुर्धर और अत्यन्त दर्शनीय वीर हैं। उनके बल से पाण्डवों ने आप लोगों पर आक्रमण की तैयारी की है । जिन्होंने युद्ध में काशी, अङ्ग, मगध तथा कलिङ्गदेश के राजाओं को पराजित किया हैं, उन वीरवर सहदेव के बल से पाण्डव आप लोगों से भिड़ने के लिये तैयार हुए हैं । राजन्! इस भूमण्डल में अश्र्वत्थामा, धृष्टकेतु, रूक्मी तथा प्रद्युम्न- ये चार पुरूष ही बल और पराक्रम में जिनकी समानता कर सकते हैं, जो माद्री को आनन्द प्रदान करने वाले तथा पाण्डवों में सबसे छोटे हैं, उन नरश्रेष्ठ वीर सहदेव के साथ आप लोगों का महान् विनाशकारी युद्ध होने वाला है ।
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