"महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 147 श्लोक 60-62" के अवतरणों में अंतर

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जो भगवान् विष्णु हैं, वे ही इस पृथ्वी को धारण करने वाले भगवान् अनन्त हैं। जो बलराम हैं वे ही श्रीकृष्ण हैं, जो श्रीकृष्ण हैं वे ही भूमिधर बलराम हैं। वे दोनों दिव्य रूप और दिव्य पराक्रम से सम्पन्न पुरूषसिंह बलराम और श्रीकृष्ण क्रमशः चक्र एवं हल धारण करने वाले हैं। तुम्हें उन दोनों का दर्शन एवं सम्मान करना चाहिये। तपोधनो! आप लोगों पर अनुग्रह करके मैंने भगवान् का पवित्र माहात्म्य इसलिये बताया है कि आप प्रयत्नपूर्वक उन यदुकुलतिलक श्रीकृष्ण की पूजा करें।
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जो भगवान  विष्णु हैं, वे ही इस पृथ्वी को धारण करने वाले भगवान  अनन्त हैं। जो बलराम हैं वे ही श्रीकृष्ण हैं, जो श्रीकृष्ण हैं वे ही भूमिधर बलराम हैं। वे दोनों दिव्य रूप और दिव्य पराक्रम से सम्पन्न पुरूषसिंह बलराम और श्रीकृष्ण क्रमशः चक्र एवं हल धारण करने वाले हैं। तुम्हें उन दोनों का दर्शन एवं सम्मान करना चाहिये। तपोधनो! आप लोगों पर अनुग्रह करके मैंने भगवान  का पवित्र माहात्म्य इसलिये बताया है कि आप प्रयत्नपूर्वक उन यदुकुलतिलक श्रीकृष्ण की पूजा करें।
  
 
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१२:०७, २९ जुलाई २०१५ के समय का अवतरण

सप्तचत्वारिंशदधिकशततम (147) अध्‍याय: अनुशासनपर्व (दानधर्म पर्व)

महाभारत: अनुशासनपर: सप्तचत्वारिंशदधिकशततम अध्याय: श्लोक 60-62 का हिन्दी अनुवाद


जो भगवान विष्णु हैं, वे ही इस पृथ्वी को धारण करने वाले भगवान अनन्त हैं। जो बलराम हैं वे ही श्रीकृष्ण हैं, जो श्रीकृष्ण हैं वे ही भूमिधर बलराम हैं। वे दोनों दिव्य रूप और दिव्य पराक्रम से सम्पन्न पुरूषसिंह बलराम और श्रीकृष्ण क्रमशः चक्र एवं हल धारण करने वाले हैं। तुम्हें उन दोनों का दर्शन एवं सम्मान करना चाहिये। तपोधनो! आप लोगों पर अनुग्रह करके मैंने भगवान का पवित्र माहात्म्य इसलिये बताया है कि आप प्रयत्नपूर्वक उन यदुकुलतिलक श्रीकृष्ण की पूजा करें।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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