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*यह भारत, लंका आदि में भी उपजाई जाती है। जड़ को पीसकर हलके बादामी रंग का चूर्ण तैयार किया जाता है। | *यह भारत, लंका आदि में भी उपजाई जाती है। जड़ को पीसकर हलके बादामी रंग का चूर्ण तैयार किया जाता है। | ||
*जैलप में एक प्रकर की राल होती है। इसका रेचक प्रभाव इसी राल के कारण होता है। | *जैलप में एक प्रकर की राल होती है। इसका रेचक प्रभाव इसी राल के कारण होता है। | ||
*चिकित्सा में य | *चिकित्सा में य 17वीं शताब्दी से प्रयुक्त हो रहा है। | ||
*यह बड़ा प्रबल रेचक है। मात्रा अधिक हो जाने पर बहुत अधिक दस्त आ जाते हैं तथा स्थिति चिंताजनक हो सकती है। | *यह बड़ा प्रबल रेचक है। मात्रा अधिक हो जाने पर बहुत अधिक दस्त आ जाते हैं तथा स्थिति चिंताजनक हो सकती है। | ||
*इसका चूर्ण प्राय: एक ग्राम की मात्रा में दिया जाता है। | *इसका चूर्ण प्राय: एक ग्राम की मात्रा में दिया जाता है। | ||
*जैलप की राल भूरे लाल रंग के चमकदार थक्कों अथवा भूरे चूर्ण के रूप में मिलती है। इसका स्वाद तीक्ष्ण होता है। राल प्राय: | *जैलप की राल भूरे लाल रंग के चमकदार थक्कों अथवा भूरे चूर्ण के रूप में मिलती है। इसका स्वाद तीक्ष्ण होता है। राल प्राय: 125 मिलीग्राम की मात्रा में दी जाती है। | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
०८:३१, १८ अगस्त २०११ के समय का अवतरण
- जैलप मेक्सिको में उत्पन्न होने वाली एक लता, एक्सोगोनियम जैलपा, की जड़ को कहते हैं।
- यह भारत, लंका आदि में भी उपजाई जाती है। जड़ को पीसकर हलके बादामी रंग का चूर्ण तैयार किया जाता है।
- जैलप में एक प्रकर की राल होती है। इसका रेचक प्रभाव इसी राल के कारण होता है।
- चिकित्सा में य 17वीं शताब्दी से प्रयुक्त हो रहा है।
- यह बड़ा प्रबल रेचक है। मात्रा अधिक हो जाने पर बहुत अधिक दस्त आ जाते हैं तथा स्थिति चिंताजनक हो सकती है।
- इसका चूर्ण प्राय: एक ग्राम की मात्रा में दिया जाता है।
- जैलप की राल भूरे लाल रंग के चमकदार थक्कों अथवा भूरे चूर्ण के रूप में मिलती है। इसका स्वाद तीक्ष्ण होता है। राल प्राय: 125 मिलीग्राम की मात्रा में दी जाती है।