"जैलप": अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "२" to "2") |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "५" to "5") |
||
पंक्ति ५: | पंक्ति ५: | ||
*यह बड़ा प्रबल रेचक है। मात्रा अधिक हो जाने पर बहुत अधिक दस्त आ जाते हैं तथा स्थिति चिंताजनक हो सकती है। | *यह बड़ा प्रबल रेचक है। मात्रा अधिक हो जाने पर बहुत अधिक दस्त आ जाते हैं तथा स्थिति चिंताजनक हो सकती है। | ||
*इसका चूर्ण प्राय: एक ग्राम की मात्रा में दिया जाता है। | *इसका चूर्ण प्राय: एक ग्राम की मात्रा में दिया जाता है। | ||
*जैलप की राल भूरे लाल रंग के चमकदार थक्कों अथवा भूरे चूर्ण के रूप में मिलती है। इसका स्वाद तीक्ष्ण होता है। राल प्राय: | *जैलप की राल भूरे लाल रंग के चमकदार थक्कों अथवा भूरे चूर्ण के रूप में मिलती है। इसका स्वाद तीक्ष्ण होता है। राल प्राय: 125 मिलीग्राम की मात्रा में दी जाती है। | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
०७:३७, १८ अगस्त २०११ का अवतरण
- जैलप मेक्सिको में उत्पन्न होने वाली एक लता, एक्सोगोनियम जैलपा, की जड़ को कहते हैं।
- यह भारत, लंका आदि में भी उपजाई जाती है। जड़ को पीसकर हलके बादामी रंग का चूर्ण तैयार किया जाता है।
- जैलप में एक प्रकर की राल होती है। इसका रेचक प्रभाव इसी राल के कारण होता है।
- चिकित्सा में य 1७वीं शताब्दी से प्रयुक्त हो रहा है।
- यह बड़ा प्रबल रेचक है। मात्रा अधिक हो जाने पर बहुत अधिक दस्त आ जाते हैं तथा स्थिति चिंताजनक हो सकती है।
- इसका चूर्ण प्राय: एक ग्राम की मात्रा में दिया जाता है।
- जैलप की राल भूरे लाल रंग के चमकदार थक्कों अथवा भूरे चूर्ण के रूप में मिलती है। इसका स्वाद तीक्ष्ण होता है। राल प्राय: 125 मिलीग्राम की मात्रा में दी जाती है।