सप्ततितम (70) अध्याय: भीष्म पर्व (भीष्मवध पर्व)
महाभारत: भीष्म पर्व: सप्ततितम अध्याय: श्लोक 23-29 का हिन्दी अनुवाद
क्षत्रियगण गदा, खडग, प्रास तथा झुकी हुई गाँठ वाले बाणों द्वारा एक दूसरे को मार रहे थे, क्योंकि उन सबका काल आ गया था। कितने ही मल्लयुद्ध में कुशल वीर उस युद्धस्थल में लोहे के परिघों के समान मोटी भुजाओं से परस्पर भिड़कर अनेक प्रकार के दाँव-पेच दिखाते हुए लड़ रहे थे । प्रजानाथ! आपके वीर सैनिक पाण्डवों के साथ युद्ध करते समय मुक्कों, घुटनों और तमाचों से एक दूसरे पर चोट करते थे। जनेश्वर! कुछ लोग पृथ्वी पर गिरे हुए थे, कुछ गिराये जा रहे थे और कितने ही गिरकर छठपटा रहे थे। इस प्रकार यत्र-तत्र भयंकर युद्ध चल रहा था। कितने ही रथी रथहीन होकर हाथ में सुदृढ़ तलवार लिये एक दूसरे को मार डालने की इच्छा से परस्पर टूटे पड़ते थे। उस समय बहुसंख्यक कलिंगों से घिरे हुए राजा दुर्योधन ने युद्ध में भीष्म को आगे करके पाण्डवों पर आक्रमण किया। इसी प्रकार क्रोध में भरे हुए समस्त पाण्डवों ने भी भीमसेन को घेरकर भीष्म पर धावा किया। फिर दोनों पक्षों में भयंकर युद्ध होने लगा।
इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्मपर्व के अन्तर्गत भीष्मवधपर्व में संकुल युद्ध विषयक सत्तरवां अध्याय पूरा हुआ।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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