महाभारत शल्य पर्व अध्याय 56 श्लोक 43-46

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०६:३१, २४ जुलाई २०१५ का अवतरण ('==षट्पन्चाशत्तम (56) अध्याय: शल्य पर्व (गदा पर्व)== <div style="text-...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

षट्पन्चाशत्तम (56) अध्याय: शल्य पर्व (गदा पर्व)

महाभारत: शल्य पर्व: षट्पन्चाशत्तम अध्याय: श्लोक 43-46 का हिन्दी अनुवाद

तदनन्तर सबसे सम्मानित हो कुरुनन्दन दुर्योधन ने युद्ध के लिये धीर बुद्धि का आश्रय लिया। उस समय उसके शरीर में रोमान्च हो आया था । इसके बाद जैसे लोग ताली बजाकर मतवाले हाथी को कुपित कर देते हैं, उसी प्रकार राजाओं ने ताली पीट कर अमर्षशील दुर्योधन को पुनः हर्ष और उत्साह से भर दिया । महामनस्वी पाण्डु पुत्र भीमसेन ने गदा उठाकर आपके महामना पुत्र दुर्योधन पर बड़े वेग से आक्रमण किया । उस समय हाथी बारंबार चिग्घाड़ने और घोड़े हिनहिनाने लगे। साथ ही विजयाभिलाषी पाण्डवों के अस्त्र-शस्त्र चमक उठे ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत शल्य पर्व के अन्तर्गत गदा पर्व में गदायुद्ध का आरम्भ विषयक छप्पनवां अध्याय पूरा हुआ ।



« पीछे आगे »

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

साँचा:सम्पूर्ण महाभारत अभी निर्माणाधीन है।