महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 113 श्लोक 17-23

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त्र्योदशाधिकशततम (113) अध्‍याय: उद्योग पर्व (भगवादयान पर्व)

महाभारत: उद्योग पर्व: त्र्योदशाधिकशततम अध्याय: श्लोक 17-23 का हिन्दी अनुवाद

'अब तुम पहले की भांति बल और पराक्रम से सम्पन्न हो जाओगे ।' शाण्डिली के इतना कहते ही गरुड़ की पांखें पहले से भी अधिक शक्तिशाली हो गईं । तत्पश्चात शाण्डिली की आज्ञा ले वे जैसे आए थे, वैसे ही चले गए । वे गालव के बताए अनुसार श्यामकर्ण घोड़े नहीं पा सके । इधर गालव को राह में आते देख वक्ताओं में श्रेष्ठ विश्वामित्र खड़े हो गए और गरुड के समीप उनसे इस प्रकार बोले- 'ब्रह्मण ! तुमने स्वयं ही जिस धन को देने की प्रतिज्ञा की थी, उसे देने का समय आ गया है । फिर तुम जैसा ठीक समझो, करो । मैं इतने ही समय तक और तुम्हारी प्रतीक्षा करूंगा । ब्रह्मण ! जिस प्रकार तुम्हें सफलता मिल सके, उस मार्ग का विचार करो' । तदनंतर दीन और अत्यंत दुखी हुए गालव मुनि से गरुड़ ने कहा – 'द्विजश्रेष्ठ गालव ! विश्वामित्रजी ने मेरे सामने जो कुछ कहा है, आओ, उसके विषय में हम दोनों सलाह करें । तुम्हें अपने गुरु को उनका सारा धन चुकाए बिना चुप नहीं बैठना चाहिए' ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योगपर्व के अंतर्गत भगवदयानपर्व में गालव चरित्र विषयक एक सौ तेरहवाँ अध्याय पूरा हुआ ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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