महाभारत शल्य पर्व अध्याय 58 श्लोक 57-62

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०५:१७, १८ अगस्त २०१५ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

अष्टपन्चाशत्तम (58) अध्याय: शल्य पर्व (गदा पर्व)

महाभारत: शल्य पर्व: अष्टपन्चाशत्तम अध्याय: श्लोक 57-62 का हिन्दी अनुवाद

राजन् ! आपके पुत्र के धराशायी हो जाने पर वहां अस्त्र-शस्त्र और ध्वजा वाले सभी वीर कांपने लगे । नृपश्रेष्ठ ! तालाबों और कूपों में रक्त का उफान आने लगा और महान् वेगशालिनी नदियां उल्टी अपने उद्रम की ओर बहने लगी । राजन् ! आपके पुत्र दुर्योधन के धराशायी होने पर स्त्रियों में पुरुषत्व और पुरुषों में स्त्रीत्व के सूचक लक्षण प्रकट होने लगे । भरतश्रेष्ठ ! उन अदभुत उत्पातों को देखकर पाण्डवों सहित समस्त पान्चाल मन ही मन अत्यन्त उद्विग्न हो उठे । भारत ! तदनन्तर देवता, गन्धर्व और अप्सराओं के समूह आप के दोनों पुत्रों के अदभुत युद्ध की चर्चा करते हुए अपने अभीष्ट स्थान को चले गये । राजेन्द्र ! उसी प्रकार सिद्ध, वातिक ( वायुचारी ) और चारण उन दोनों पुरुष सिंहों की प्रशंसा करते हुए जैसे आये थे, वैसे चले गये ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत शल्य पर्व के अन्तर्गत गदा पर्व में दुर्योधन का वध विषयक अटठावनवां अध्याय पूरा हुआ ।



« पीछे आगे »

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

साँचा:सम्पूर्ण महाभारत अभी निर्माणाधीन है।