महाभारत कर्ण पर्व अध्याय 9 श्लोक 91-97

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित १२:४४, २५ अगस्त २०१५ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

नवम (9) अध्याय: कर्ण पर्व

महाभारत: कर्ण पर्व: नवम अध्याय: श्लोक 91-97 का हिन्दी अनुवाद

संजय ! जिस समय शूरवीर महारथी पाण्डव पानी की धारा बरसाने वाले बादलों के समान स्वयं ही बाणों की वुष्टि करते हुए आगे बढ़ने लगे, उस समय महान् बाणों में सर्वश्रेष्ठ दिव्य सर्वमुख बाण व्यर्थ ैिसे हो गया ? यह मुझे बताओ। संजय ! मेरी इस सेना का उत्कर्ष अथवा उत्साह नष्ट हो गया है। इसके प्रमुख वीर कर्ण के मारे जाने पर अब यह बच सकेगी, ऐसा मुझे नहीं दिखायी देता है। मेरे लिये प्राणों का मोह छोड़ देने वाले महाधनुर्धर वीर भीष्म और द्रोणाचार्य मारे गये, यह सुनकर मेरे जीवित रहने का क्या प्रयोजन है ? जिसकी भुजाओं में दस हजार हाथियों का बल था, वह कर्ण पाण्डवों द्वारा मारा गया, यह बारंबार सुनकर मुझसे सहा नहीं जाता। संजय ! द्रोणाचार्य के मारे जाने पर संग्राम में नरवीर कौरवों का शत्रुओं के साथ जैसा बर्ताव हुआ, वह मुझे बताओ। शत्रुहन्ता कर्ण ने कुन्ती पुत्रों के साथ जिस प्रकार युद्ध का आयेाजन किया और जिस प्रकार वह रण भूमि में शान्त हो गया, वह सारा वृत्तान्त मुझे बताओ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत कर्णपर्व में धृतराष्ट्र का प्रश्न विषयक नवाँ अध्याय पूरा हुआ।


« पीछे आगे »

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

साँचा:सम्पूर्ण महाभारत अभी निर्माणाधीन है।