उमर अल मकसूस

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०७:३३, ८ जुलाई २०१८ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
उमर अल मकसूस
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 129
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक कैलासचंद्र शर्मा

उमर अल्‌ मकसूस द्वितीय ख़लीफ़ा मुआविया के गुरु। मुआविया ने अपने पिता की मृत्यु के बाद इनसे परामर्श लिया, मैं खिलाफत लूँ या नहीं। इन्होंने कहा, न्यायपूर्वक शासन कर सकें तो लें, अन्यथा न लें। छह सप्ताह तक राज्य चलाने के उपरांत मुआविया ने अपने को शासन करने में सर्वथा अयोग्य पाया और राज्यभार छोड़ दिया। इससे उमय्या वंश के लोग उमर अल्‌ मकसूस से बेहद नाराज हो गए और अवसर मिलते ही 643 ई. में उन्होंने इन्हें जिंदा ही जमीन में गाड़ दिया।

टीका टिप्पणी और संदर्भ