महाभारत आदि पर्व अध्याय 171 श्लोक 20-25
एकससत्यधिकशततम (171) अध्याय: आदि पर्व (चैत्ररथ पर्व)
तपती ने कहा- राजन् ! मैं ऐसी कन्या हूं, जिसके पिता विद्यमान हैं; अत: अपने इस शरीर पर मेरा कोई अधिकार नहीं है। यदि आपका मुझपर प्रेम है तो मेरे पिताजी से मुझे मांग लीजिये। नरेश्वर ! जैसे आपके प्राण मेरे अधीन हैं, उसी प्रकार आपने भी दर्शनमात्र से ही मेरे प्राणों को हर लिया है। नृपश्रेष्ठ ! मैं अपने शरीर की स्वामिनी नहीं हूं, इसलिये आपके समीप नहीं आ सकती; कारण कि स्त्रियां कभी स्वतन्त्र नहीं होतीं। आपका कुल सम्पूर्ण लोकों में विख्यात है। आप जैसे भक्तवत्सल नरेश को कौन कन्या अपना पति बनाने की इच्छा नहीं करेगी ? ऐसी दशा में आप यथासमय नमस्कार, तपस्या और नियम के द्वारा मेरे पिता भगवान् सूर्य को प्रसन्न करके उनसे मुझे मांग लीजिये। शत्रुदमननरेश ! यदि वे मुझे आपकी सेवा में देना चाहेंगे तो मैं आज से सदा आपकी आज्ञा के अधीन रहूंगी। क्षत्रियशिरोमणे ! मैं इन्हीं अखिलभुवनभास्कर भगवान् सविता की पुत्री और सावित्री की छोटी बहिन हूं। मेरा नाम तपती है।
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