महाभारत आदि पर्व अध्याय 204 श्लोक 19-30

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चतुरधिकद्विशततम (204) अध्‍याय: आदि पर्व (विदुरागमन-राज्‍यलम्‍भ पर्व )

महाभारत: आदि पर्व: चतुरधिकद्विशततम अध्‍याय: श्लोक 19-30 का हिन्दी अनुवाद


जिन ज्‍येष्‍ठ पाण्‍डव युधिष्ठिर में धैर्य, दया, क्षमा, सत्‍य और पराक्रम आदि गुण नित्‍य निवास करते हैं, उन्‍हें रण भूमि में कैसे हराया जा सकता है ? बलरामजी जिनके पक्षपाती हैं, भगवान् श्रीकृष्‍ण जिनके सलाहकार हैं तथा जिनके पक्ष में सात्‍यकि वीर है, वे पाण्‍डव युद्ध में किसे नहीं परास्‍त कर देंगे ? द्रुपद जिनके श्रशुर हैं और उनके पुत्र पृषतवंशी धृष्‍टद्युम्‍न आदि वीर भ्राता जिनके साले हैं, भारत ! ऐसे पाण्‍डवों को रणभूमि में जीतना असम्‍भव है। इस बात को जानकर तथा पहले उनके पिता का राज्‍य होने के कारण वे ही धर्मपूर्वक इस राज्‍य के उत्‍तराधिकारी हैं, इस बात की ओर ध्‍यान देकर उनके साथ उत्‍तम बर्ताव कीजिये। राजन् ! पुरोचन के हाथों जो कुछ कराया गया, उससे आपका बहुत बड़ा अपयश सब ओर फैल गया है। अपने उस कलंक को आज आप पाण्‍डवों पर अनुग्रह करके धो डालिये । पाण्‍डवों पर किया हुआ यह अनुग्रह हमारे कुल के सभी लोगों के जीवन का रक्षक, परम हितकारक और सम्‍पूर्ण क्ष‍त्रिय जाति का अभ्‍युदय करनेवाला होगा। राजन् ! द्रुपद भी बहुत बड़े राजा हैं और पहले हमारे साथ उनका वैर भी हो चुका है। अत: मित्र के रुप में उनका संग्रह हमारे अपने पक्ष की वृद्धि का कारण होगा । पृथ्‍वीपते ! यदुवंशियों की संख्‍या बहुत है और वे बलवान् भी हैं। जिस ओर श्रीकृष्‍ण रहेंगे, उधर ही वे सभी रहेंगे। इसलिये जिस पक्ष में श्रीकृष्‍ण होंगे, उस पक्ष की विजय अवश्‍य होगी। महाराज ! जो कार्य शांतिपूर्वक समझाने-बुझाने से ही सिद्ध हो जा सकता है, उसी को कौन दैव का मारा हुआ मनुष्‍य युद्ध के द्वारा सिद्ध करेगा। कुन्‍ती के पुत्रों को जीवित सुनकर नगर और जनपद के सभी लोग उन्‍हें देखने के लिये अत्‍यन्‍त उत्‍सुक हो रहे हैं। राजन् ! उन सबका प्रिय कीजिये। दुर्योधन, कर्ण और सुबलपुत्र शकुनि- ये अधर्मपरायण, खोटी बुद्धिवाले और मुर्ख हैं; अत: इनका कहना न मानिये। भूपाल ! आप गुणवान् है। आपसे तो मैंने पहले ही यह कह दिया कि दुर्योधन के अपराध से निश्‍चय ही यह समस्‍त प्रजा नष्‍ट हो जायगी।

इस प्रकार श्रीमहाभारत आदिपर्व के अन्‍तर्गत विदुरागमन-राज्‍यलम्‍भपर्व में विदुरवाक्‍यविषयक दो सौ चौथा अध्‍याय पुरा हुआ।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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