महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 70 श्लोक 11-15

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सप्ततितम (70) अध्याय: उद्योग पर्व (यानसंधि पर्व)

महाभारत: उद्योग पर्व: सप्ततितम अध्याय: श्लोक 11-15 का हिन्दी अनुवाद

वे सर्वत्र परि‍पूर्ण हैं तथा सबके निवासस्थान हैं, इसलिये ‘पुरूष’ हैं और सब पुरूषों में उत्तम होने के कारण उनकी ‘पुरूषोत्तम’ संज्ञा हैं। वे सत् और असत् सबकी उत्पत्ति और लय के स्थान हैं तथा सर्वदा उन सबका ज्ञान रखते हैं; इसलिये उन्हें ‘सर्व’ कहते हैं। श्रीकृष्‍ण सत्य में प्रतिष्ठित हैं और सत्य उनमें प्रतिष्ठित है। वे भगवान् गोविन्द सत्य से भी उत्कृष्‍ट सत्य है। अत: उनका एक नाम ‘सत्य’ भी है। विक्रमण (वामनावतार में तीनों लोकों को आक्रान्त) करने के कारण वे भगवान् ‘विष्‍णु’ कहलाते हैं। वे सब पर विजय पाने से ‘जिष्‍णु’, शाश्र्वत (नित्य) होने से ‘अनन्त’ तथा गौओं (इन्द्रियों) के ज्ञाता और प्रकाशक होने के कारण (गां विन्दति) इस व्युत्पत्ति के अनुसार ‘गोविन्द’ कहलाते हैं। वे अपनी सत्ता-स्फूर्ति देकर असत्य को भी सत्य-सा कर देते हैं और इस प्रकार सारी प्रजा को मोह में डाल देते हैं निरन्तर धर्म में तत्पर रहने वाले उन भगवान् मधुसूदन का स्वरूप ऐसा ही है। अपनी मर्यादा से कभी च्युत न होने वाले महाबाहु श्रीकृष्‍ण कौरवों पर कृपा करने के लिये यहां पधारने वाले हैं ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योगपर्व के अन्तर्गत यानसंधिपर्व में संजयवाक्यविषयक सत्तरवां अध्‍याय पूरा हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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