महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 73 श्लोक 35-43
त्रिसप्ततितम (73) अध्याय: भीष्म पर्व (भीष्मवध पर्व)
यह देख महाबली सुभद्रा कुमार ने लक्ष्मण के चारों घोड़ों और सारथि को मार करती खेबाणों द्वारा उस पर भी आक्रमण किया। शत्रु वीरों का नाश करने वाले लक्ष्मण ने उस अश्वहीन रथ पर खड़े-खड़े ही क्रोध में भर कर अभिमन्यु के रथ की ओर एक शक्ति चलायी। उस भयंकर एवं दुर्जय सर्पिणी के समान शक्ति को सहसा अपनी ओर आते देख अभिमन्यु ने तीखे बाणों द्वारा उसके टुकड़े-टुकड़े कर डाले। तब कृपाचार्य सब सैनिकों के देखते-देखते लक्ष्मण को अपने रथ पर विठाकर युद्ध भूमि में वहाँ से अन्य त्रहटाले गये। तदनन्तर उस महा भयंकर संघर्ष में सब योद्धा विपक्षी को मारने की इच्छा रखकर एक-दूसरे का वध करने के लिये परस्पर टूट पड़े। आपके और पाण्डव पक्ष के महा धनुर्धर महारथी वीर समरागंण में प्राणों की आहुति देते हुए एक दूसरे कोमार रहे थे।
कवच और रथ से रहित हो धनुष कट जाने पर अपने बाल खोले हुए कितने ही संजय वीर कौरवों के साथ केवल भुजाओं द्वारा मल्ल युद्ध कर रहे थे। तब महाबली महाबाहु भीष्म अत्यन्त कुपित हो अपने दिव्या स्त्रों द्वारा महामना पाण्डवों की सेना का संहार करने लगे। उस समय वहाँ मारे और गिराये गये हाथी, घोड़े, मनुष्य, रथी और सवारों द्वारा सारी पृथ्वी अच्छादित हो गयी थी। इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्मपर्व के अन्तर्गत भीष्मवध पर्व में द्वन्द्वयुद्ध विषयक तिहत्तरवां अध्याय पूरा हुआ।
« पीछे | आगे » |