महाभारत वन पर्व अध्याय 277 श्लोक 54-56

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सप्तसप्तत्यधिकद्वशततम (277) अध्‍याय: वन पर्व (रामोख्यान पर्व )

महाभारत: वन पर्व: सप्तसप्तत्यधिकद्वशततमोऽध्यायः श्लोक 54-56 का हिन्दी अनुवाद


त्रिकूअ और कालपर्वत को लाँघकर उसने मगरों के निवास स्थान गहरे महासागर को देखा। उसे ऊपर-ही-ऊपर लाँघकर दशमुख रावण गोकर्ण तीर्थ में गया, जो परमात्मा शूलपाणि शिव का प्रिय एवं अविचल स्थान है। वहाँ रावण अपने भूतपूर्व मन्त्री मारीच से मिला, जो श्रीरामचन्द्रजी के भय से ही पहले से उस स्थान में आकर तपस्या करता था।

इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अनतर्गत रामोख्यान पर्व में श्रीरामवनगमनविषयक दो सौ सतहत्तरवाँ अध्याय पूरा हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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