महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 132 श्लोक 39-43

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द्वात्रिंशदधिकशतकम (132) अध्याय: द्रोण पर्व (जयद्रथवध पर्व)

महाभारत: द्रोण पर्व: द्वात्रिंशदधिकशतकम अध्याय: श्लोक 39-43 का हिन्दी अनुवाद

राजन् ! उन दोनों के छोड़े हुए गीध की पाँख वाले बाण शरद् ऋतु के आकाश में मतवाले सारसों की श्रेणियों के समान सुशोभित होते थे। शत्रुदमन भीमसेन को सूत पुत्र के साथ उलझा हुआ देख श्रीकृष्ण और अर्जुन ने भीम पर यह बहुत बड़ा भार समझा। उस युद्ध स्थल में कर्ण और भीेमसेन के छोड़े हुए बाणों से अत्यन्त घायल हुए घोड़े, मनुष्य और हाथी बाणों के गिरने के स्थान को लाँघकर उससे दुर जा गिरते थे। राजन् ! महाराज ! कुछ सैनिक गिर रहे थे, कुछ गिर चुके थे और दूसरे बहुत से योद्धा प्राणशून्य हो गये थे; उन सबके कारण आपके पुत्रों की सेना में बड़ा भारी नर संहार हुआ। भरत श्रेष्ठ ! मनुष्य, घोड़े ओर हाथियों के निष्प्राण शरीरों से वहाँ की भूमि क्षण भर में ढक गयी और दक्ष यज्ञ के संहार काल में रुद्र की क्रीड़ा भूमि के समान प्रतीत होने लगी।

इस प्रकार श्रीमहाभारत द्रोणपर्व के अन्तर्गत जयद्रथ वध पर्व में भीमसेन और कर्ण का युद्ध विषयक एक सौ बत्तीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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